श्रद्धांजलि- आज़ाद कानपुरी


ग़ज़ल का एक सितारा चला गया यारों।

अदबगरों का सहारा चला गया यारों।।


गया तो लालमन आज़ाद कानपुर वाला

क्यों सब कहे हैं हमारा चला गया यारों।।


कोई कहे है कि सूरज चला गया कोई

कहे है नूर ही सारा चला गया यारों।।


वो इक सदा थी जो जाती थी कहकशाओं तक

वो कहकशाओं का प्यारा चला गया यारों।।


मुहब्बतों के लिए था गज़ब का मीठा वो

अनाओं में था जो खारा चला गया यारों।। 


सुरेश साहनी,अदीब कानपुर

Comments

Popular posts from this blog

भोजपुरी लोकगीत --गायक-मुहम्मद खलील

श्री योगेश छिब्बर की कविता -अम्मा

र: गोपालप्रसाद व्यास » साली क्या है रसगुल्ला है