मैं कबीर की तरह देख रहा हूँ

चाँद आज भी उतना ही खूबसूरत है

जितना खूबसूरत था कबीर के  समय

पर मैं ब्रम्ह को नहीं तुम्हें याद करता हूँ

तुम भी चाँद की तरह खूबसूरत हो

शायद मैं भी तुम्हें याद आ रहा हूँगा

बेशक़ मैं चाँद नहीं हूँ

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