अपने क़ातिल  का पता देता है।

इश्क़ कब दिल का पता देता है।।

आप का आज भी सुन्दर होना

हुस्ने- काबिल का पता देता है।।

खो गया दिल तो करे हंगामा

कौन हासिल का पता देता है।।

यार से जब भी कहा मिलने को

यार महफ़िल का पता देता है।।

इश्क़ कह देता है खुलकर वरना

कौन मन्ज़िल का पता देता है।।

ऐसी हालत में तबस्सुम यारब

हाले-बिस्मिल का पता देता है।।


सुरेश साहनी, कानपुर।

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