हम भला उसके ख़्वाब क्या जानें।
इश्क़ है इंतेख़ाब क्या जानें।।
वो निगाहें हैं खंजरों जैसी
खार को हम गुलाब क्या जानें।।
हमसे पूछो शराब के मानी
होश वाले शराब क्या जानें ।।
आईने में उसे निहारा था
हम उसे लाज़वाब क्या जानें।।
हुस्न समझे अगर जरूरी है
इश्क़ वाले हिजाब क्या जाने।।
हम को दुनिया हसीन लगती है
हम किसी को ख़राब क्या जानें।।
सुरेशसाहनी ,अदीब'
कानपुर
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