थे हृदय में भाव अगणित

और हम कुछ कह न पाये।

गात काँपा कण्ठ रुन्धा

होठ केवल थरथराये।। और हम....SS


तुम मेरे सबसे सगे थे

क्यों लगे इतने पराए।।और हम कुछ कह न पाए।।

Comments

Popular posts from this blog

भोजपुरी लोकगीत --गायक-मुहम्मद खलील

श्री योगेश छिब्बर की कविता -अम्मा

र: गोपालप्रसाद व्यास » साली क्या है रसगुल्ला है