आप हमसे ख़फ़ा ख़फ़ा रहिये।
पर ये क्या है कि दूर जा रहिये।।
रूठिये पर हमारे पहलू में
एक पल को भी मत जुदा रहिये।।
क़त्ल करिये हमें निगाहों से
काम अच्छा है मुब्तिला रहिये।।
हर तवज्जह में आपके हम हों
खूब ग़ैरों से आशना रहिये।।
ठीक है रोज वस्ल ठीक नहीं
दिल से लेकिन न अलहदा रहिये।।
सुरेश साहनी
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