सिर्फ़ मरमर का बदल बोलोगे।
कब मुझे ताजमहल बोलोगे।।
क्या दिखे है तुम्हें इन आँखों मे
झील है या कि कंवल बोलोगे।।
प्यार के बोल सुना दो जानम
आज बोलोगे कि कल बोलोगे।।
रूप कहते हो गुलाबों जैसा
रंग केसर की फसल बोलोगे।।
चुप रहोगे तो यक़ी है लेकिन
तुम जो छलिया हो तो छल बोलोगे।।
मुझको होठों पे सजा कर देखो
जब भी बोलोगे ग़ज़ल बोलोगे।।
सुरेश साहनी,कानपुर
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