Posts

Showing posts from July, 2015

कई बार मैं ऐसा भी कर लेता हूँ।

कई बार मैं ऐसा भी कर लेता हूँ। भूख हो फिर भी भूखा ही सो लेता हूँ।। शौक बहुत हैं फिर भी बेचारे मन से जेब देख समझौता भी कर लेता हूँ।। प्यार बहुत करता हूँ पर घरवाली से कभी कभी मैं झगङा भी कर लेता हूँ।। तू मालिक है ये तो मुझे यकीन नहीं पर मैं तेरा सजदा भी कर लेता हूँ।।

तुम्हारी आदतें गिरगिट से कितनी मिलती जुलती हैं।।

यादें तेरी आ आ के कुछ ऐसे सताती है जगने भी नहीं देतीं सोने भी नहीं देतीं।। तासीर तेरे गम की है खूब मसीहाई मरने तो नहीं देती जीने भी नहीं देती।। बहू के रंग ढंग या सास की नज़रें बदलती हैं । अगर चदामुखी ज्वालामुखी सी लगने लगती है।। कभी बादल कभी बिजली कभी शोला कभी शबनम तुम्हारी आदतें गिरगिट से कितनी मिलती जुलती हैं।। धीरे धीरे मौत के मुंह में जाना ही है। कारण सारे उसका एक बहाना ही है।। नहीं पिए जो उनका भी मरना तय है तो खाते पीते जाओ गर जाना ही है।।

सुना है दाल महँगी हो गयी है।

सुना है दाल महँगी हो गयी है। कहो क्या चीज सस्ती हो रही है।। हमारे गांव कस्बे बन रहे हैं हमारी नस्ल कुछ तो खो रही है।। हम तंगदिल नहीं हैं हाथ तंग है इधर कुछ जेब भी ढीली हुयी है।। गलतफहमी हैं अच्छे दिन की बातें गए जो दिन कभी लौटे नहीं हैं।।

कभी फुर्सत मिले तो याद करना। naa hq वक़्त मत बरबाद करना।।

कभी फुर्सत मिले तो याद करना। बेवजह वक़्त मत बरबाद करना।। कहाँ गुजरे हुए पल लौटते हैं जहाँ जाना वो घर आबाद करना।। तुम्हारे वार में तासीर कम है तरीका कुछ नया इज़ाद करना।।

कुएं में ही भाँग पड़ी है ।

कुएं में ही भाँग पड़ी है । सकल व्यवस्था गली-सड़ी हैं ।। व्यापम की माया से तौबा वरना सर पर मौत खड़ी है।। सभी लीक पर हांफ रहे हैं किसने नई राह पकड़ी है।।

हम ने खुद को खूब छला है।

हम ने खुद को खूब छला है। इसका ये परिणाम मिला है।। पहले अच्छे दिन के वादे अब उनको कहता जुमला है।। मैं ये भी हूँ मैं वो भी था यह गिरगिट से बड़ी कला है।। हम हैं जनम जात व्यापारी अब तो समझो क्या मसला है।। जीवन के आनंद मार्ग में माता पत्नी बड़ी बला है।। लोग चित्त है चारो खाने किस ने ऐसा दांव चला है।।

किसने रोका है आप हल करिये।

किसने रोका है आप हल करिये। आगे बढिए कोई पहल करिये।। कितनी दुश्वारियां हैं दुनिया में आप बस एक ही सहल करिये।। आप तशरीफ़ क्यों नहीं रखते आदतों में ज़रा बदल करिये।। आपसे कुछ असल किया न गया सबकी अच्छाईयां नकल करिये।। अब न आएंगे और अच्छे दिन शौक से इंतज़ार-ए-कल करिये।। मौत का एक दिन मुअय्यन है रात की जिंदगी सफल करिये।।

आईना बनकर के पछताता हूँ मैं।

आईना बनकर के पछताता हूँ मैं। दुश्मनी सब से लिए जाता हूँ मैं।। एक दिन मानेंगे सब शंकर मुझे हर हलाहल कंठ तक लाता हूँ मैं।। एक दिन जल जायेगा तेरा ही घर ऐ पड़ोसी तुझ को समझाता हूँ मैं।। बाप मत बन चीन की चालें समझ दोस्त से बढ़कर बड़ा भ्राता हूँ मैं।। आसमां का कद लिए भटका बहुत आज खुद कोफर्श पर पाता हूँ मैं।। आज खुद उलझा हुआ हूँ हैफ है उलझने औरों की सुलझाता हूँ मैं।। मस्जिदों-मंदिर में भटका बेसबब मैकदे की राह अब जाता हूँ मैं।।

समंदर भी मसीहा हो गया।।

कितनी नदियां पी गया ,कितने साहिल खा गया । मिजाज इतना तल्ख़ कि पानी भी खारा हो गया। उस पे तुर्रा यह की कुछ गड्ढों को पानी दे दिया। सिर्फ इतना कर  समंदर भी मसीहा हो गया।। मेरी सियाह सी रातों को रौशनी मत दे मुझे अंधेरों से लड़ने का हौसला दे दे।।

तुम नहीं हो तो किसे याद करें ।

तुम नहीं हो तो किसे याद करें । तुम अगर हो तो किसे याद करें।। दिल में यादें हैं दर्द है गम हैं और कितना इसे आबाद करें।। आईये दिल को तोड़ने के लिए एक तरीका नया इज़ाद करें।।

बिटिया ‪#‎रानी‬ बहु ‪#‎लक्ष्मी‬

भारत में बिटिया  ‪#‎ रानी‬ बहु  ‪#‎ लक्ष्मी‬  बनकर आती है बाद में काम वाली  ‪#‎ बाई‬  सी हो जाती है। इसीलिए यहाँ हर महिला रानी लक्ष्मीबाई कहलाती है।।

बातें हैं बस लंबी चौड़ी।।

क्या समझे बातें बड़ी बड़ी। क्या जानें बातें बड़ी बड़ी ।। हमको तो रोटी नमक दाल है सुबह शाम का मकड़ जाल इनसे ही फुरसत पा लें हम तब इण्टर नेट सम्हाले हम तब जुड़े आपसे कोई कड़ी।। तब जानें बातें बड़ी बड़ी अपनी तो हारी बीमारी बिक जाती है लुटिया थारी बच्चों की शिक्षा औ ट्यूशन हैं मुश्किल जैसे यक्ष प्रश्न हर माह सामने रहे खड़ी ऐसी विपदाएँ बड़ी बड़ी।। तुम साठ साल तक लेओगे तब ही हमको कुछ देओगे मरने पर भी कुछ मिलना है या मरने पर ही मिलना है ये तुम्हरी बीमा की लकड़ी बातें हैं बस लंबी चौड़ी।।