समंदर भी मसीहा हो गया।।
कितनी नदियां पी गया ,कितने साहिल खा गया ।
मिजाज इतना तल्ख़ कि पानी भी खारा हो गया।
उस पे तुर्रा यह की कुछ गड्ढों को पानी दे दिया।
सिर्फ इतना कर समंदर भी मसीहा हो गया।।
मेरी सियाह सी रातों को रौशनी मत दे
मुझे अंधेरों से लड़ने का हौसला दे दे।।
मिजाज इतना तल्ख़ कि पानी भी खारा हो गया।
उस पे तुर्रा यह की कुछ गड्ढों को पानी दे दिया।
सिर्फ इतना कर समंदर भी मसीहा हो गया।।
मेरी सियाह सी रातों को रौशनी मत दे
मुझे अंधेरों से लड़ने का हौसला दे दे।।
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