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Showing posts from June, 2015

हम तो तम्बू कनात वाले हैं।।

ये न समझो जमात वाले हैं। हम तो तम्बू कनात वाले हैं।। हम गरीबों को गैर मत समझो हम इसी कायनात वाले हैं।। उनसे धोखा मिला है दुनिया को जो ये कहते थे बात वाले हैं।। नसीब वाले तुझे खयाल रहे हम भी शह और मात वाले हैं।। आप को कोफ्ता मुबारक हो हम तो बस दाल भात वाले है।। मेरी पत्तल भी छीन बैठे हैं कैसे थाली परात वाले हैं।। कैसे कैसे हैं आज संसद में गोया शिव की बरात वाले हैं।।

गरीबी का कोई मरहम नहीं है।।

तेरे एहसान मुझ पर कम नहीं है। तेरा गम है तो कोई गम नहीं है।। हमारे खैरख्वाह हो तुम ये माना तो क्यों दामन तुम्हारा नम नहीं है।। जिन्हें तुम देख शायर हो रहे हो मेरे आंसू हैं ये शबनम नहीं है।। कहा अच्छे दिनों के चारागर ने गरीबी का कोई मरहम नहीं है।।

वोट भले चिल्ला कर देना । किन्तु जुबां पर ताले रखना।। तुमने चौकीदार चुना है अब क्या घोड़े बेच के सोना।। इसपर पहले सोचा होता अब काहे का रोना धोना।। सैर करो दुनिया की भैया देखो अच्छे दिन का आना। खेती और किसानी क्या है भूख लगे तो पिज़्ज़ा खाना।। सूटकेस से सूटबूट तक आ पहुंचा है कहाँ जमाना।।

मैं किस  गफलत में ऐसा कर रहा हूँ। कातिलो पर भरोसा कर र हा हूँ।। यहाँ फरियाद का मतलब नहीं हैं फ़क़त अपना तमाशा कर रहा हूँ।। हमारे बाद क्या बाकी रहेगा। तेरा होना न होना ही रहेगा।। किसी की जान ले लेना सरल है मगर क्या बिन मरे तू भी रहेगा।। वोट भले चिल्ला कर देना । किन्तु जुबां पर ताले रखना।। तुमने चौकीदार चुना है अब क्या घोड़े बेच के सोना।। इसपर पहले सोचा होता अब काहे का रोना धोना।। सैर करो दुनिया की भैया देखो अच्छे दिन का आना। खेती और किसानी क्या है भूख लगे तो पिज़्ज़ा खाना।। सूटकेस से सूटबूट तक आ पहुंचा है कहाँ जमाना।।

हम तो राम को पार उतार कर भी

हम तो राम को पार उतार कर भी अपना परलोक  सुधार कर भी दरिद्र ही रहे। कायर कपटी कुजाती और नीच ही रहे। मुगल काल में अछूत हो गए क्योंकि हमारी बहनो से मछली की बास आती थी। और ठकुरसुहाती तो बिलकुल नहीं आती थी। अंग्रेजी राज में क्रिमिनल कास्ट हो गए। क्योंकि हमे गुलामी बर्दाश्त नहीं थी। चौरीचौरा से सत्तीचौरा तक हमारा ही इतिहास है। तिलका मांझी और जुब्बा सहनीकी विरासत हमारे ही पास है। और आज भी हम पार तो उतारते हैं कभी बोट से और कभी वोट से फिर भी अपना समाज उबर नहीं पाता है क्योंकि हमें आज भी नहीं आता है बेटियों का सौदा करना नहीं आता गुलामी करना और नहीं आता राजा से उतराई मांगना।

वृक्ष हमें जीवन देते हैं

इतना ध्यान कहाँ रखते हैं। नदियां हमको जल देती हैं, वृक्ष हमें जीवन देते हैं धरती देती खनिज,सम्पदा वन सब संसाधन देते हैं पर हम मान कहाँ रखतेे हैं।।

कभी बेखुदी में ठहर गए।

कभी होश में कभी जोश में कभी बेखुदी में ठहर गए। तेरा इश्क़ मेरा मुकाम था तेरी आशिकी में ठहर गए।। नतो दर न जर फिरा दरबदर न थी मुझको मेरी कोई खबर तूने मुझको मुझ से मिला दिया तो इसी ख़ुशी में ठहर गए।। तूने अपना हाथ बढ़ा दिया तो जहाँ भी साथ में आ गया तू रहीम है तू नवाज है तेरी बंदगी में ठहर गए।।

हो गए जख्म फिर हरे शायद!

हो गए जख्म फिर हरे शायद! आप हैं दर्द से भरे शायद!! जिक्र है हश्रे बेवफाई का आप भी हैं डरे डरे शायद!! आज आया है मेरी तुर्बत पर आज शिकवा-गिला करे शायद!! आज है ईद भी दशहरा भी आज रावण कोई मरे शायद!! उसके वादे तो इन्तिख़ाबी है हम गरीबों के दिन फिरे शायद!! फिर उसे मेरी याद आई है काम आये हैं मशवरे शायद!!