वोट भले चिल्ला कर देना । किन्तु जुबां पर ताले रखना।। तुमने चौकीदार चुना है अब क्या घोड़े बेच के सोना।। इसपर पहले सोचा होता अब काहे का रोना धोना।। सैर करो दुनिया की भैया देखो अच्छे दिन का आना। खेती और किसानी क्या है भूख लगे तो पिज़्ज़ा खाना।। सूटकेस से सूटबूट तक आ पहुंचा है कहाँ जमाना।।

मैं किस गफलत में ऐसा कर रहा हूँ।
कातिलो पर भरोसा कर रहा हूँ।।
यहाँ फरियाद का मतलब नहीं हैं
फ़क़त अपना तमाशा कर रहा हूँ।।
हमारे बाद क्या बाकी रहेगा।
तेरा होना न होना ही रहेगा।।
किसी की जान ले लेना सरल है
मगर क्या बिन मरे तू भी रहेगा।।

वोट भले चिल्ला कर देना ।
किन्तु जुबां पर ताले रखना।।

तुमने चौकीदार चुना है
अब क्या घोड़े बेच के सोना।।

इसपर पहले सोचा होता
अब काहे का रोना धोना।।

सैर करो दुनिया की भैया
देखो अच्छे दिन का आना।

खेती और किसानी क्या है
भूख लगे तो पिज़्ज़ा खाना।।

सूटकेस से सूटबूट तक
आ पहुंचा है कहाँ जमाना।।



Comments

Popular posts from this blog

भोजपुरी लोकगीत --गायक-मुहम्मद खलील

र: गोपालप्रसाद व्यास » साली क्या है रसगुल्ला है

श्री योगेश छिब्बर की कविता -अम्मा