गरीबी का कोई मरहम नहीं है।।


तेरे एहसान मुझ पर कम नहीं है।
तेरा गम है तो कोई गम नहीं है।।

हमारे खैरख्वाह हो तुम ये माना
तो क्यों दामन तुम्हारा नम नहीं है।।

जिन्हें तुम देख शायर हो रहे हो
मेरे आंसू हैं ये शबनम नहीं है।।

कहा अच्छे दिनों के चारागर ने
गरीबी का कोई मरहम नहीं है।।

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