हम तो तम्बू कनात वाले हैं।।


ये न समझो जमात वाले हैं।
हम तो तम्बू कनात वाले हैं।।

हम गरीबों को गैर मत समझो
हम इसी कायनात वाले हैं।।

उनसे धोखा मिला है दुनिया को
जो ये कहते थे बात वाले हैं।।

नसीब वाले तुझे खयाल रहे
हम भी शह और मात वाले हैं।।

आप को कोफ्ता मुबारक हो
हम तो बस दाल भात वाले है।।

मेरी पत्तल भी छीन बैठे हैं
कैसे थाली परात वाले हैं।।

कैसे कैसे हैं आज संसद में
गोया शिव की बरात वाले हैं।।

Comments

Popular posts from this blog

भोजपुरी लोकगीत --गायक-मुहम्मद खलील

र: गोपालप्रसाद व्यास » साली क्या है रसगुल्ला है

श्री योगेश छिब्बर की कविता -अम्मा