कभी बेखुदी में ठहर गए।

कभी होश में कभी जोश में कभी बेखुदी में ठहर गए।
तेरा इश्क़ मेरा मुकाम था तेरी आशिकी में ठहर गए।।
नतो दर न जर फिरा दरबदर न थी मुझको मेरी कोई खबर
तूने मुझको मुझ से मिला दिया तो इसी ख़ुशी में ठहर गए।।
तूने अपना हाथ बढ़ा दिया तो जहाँ भी साथ में आ गया
तू रहीम है तू नवाज है तेरी बंदगी में ठहर गए।।

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