आप बेशक़ मकान वाले हैं।
हम खुले आसमान वाले हैं।।
आप तीरो-कमान वाले हैं।
हम भी ऊंची उडान वाले हैं।।
आप कहते हो आपकी दुनिया
हम कहाँ उस जहान वाले हैं।।
आप मुंह मे ज़बान रखते हो
और एक हम ज़बान वाले हैं।।
सारी दुनिया कुटुंब है अपना
हम जो हिन्दोस्तान वाले हैं।।
जान देने का है हुनर हममें
हम परिंदे भी शान वाले हैं।।
आप ने अपने दाग कब देखे
सिर्फ़ क्या हम निशान वाले हैं।।
आप का इंतज़ार कर लेंगे
यूँ भी हम इतमीनान वाले हैं।।
बेवफाई पे सोच लीजेगा
जान ले लेंगे जान वाले हैं।।
सुरेश साहनी, कानपुर
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