उसने जब पैरहन उतार दिया।
अस्ल क़िरदार को उघार दिया।।
सिर्फ़ अपने लिये किया सब कुछ
मुल्क का क्या बना संवार दिया।।
ज़िन्दगी हाट की ज़रूरत है
मौत ने भी तो कारोबार किया।।
मौत के साथ चल दिये बेदिल
ज़ीस्त ने जबकि इंतज़ार किया।।
ज़िस्म का ब्याज जोड़ने वालों
आप ने कब हमें उधार दिया।।
हम तो हम थे सफेद कालर जी
किसने पेशे को शर्मसार किया।।
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