सेना को हर बार बधाई।
एल ओ सी में घुसकर मारा
इसकी सौ सौ बार बधाई।।
शिशुपालों की कितनी गलती
कृष्ण क्षमा भी कब तक करते
दुश्मन बढ़ता ही जाता था
आखिर सहन कहाँ तक करते
आख़िरकार उसी के घर में
उसकी करनी पड़ी पिटाई।। क्रमशः
दुष्ट दुःशासन अब माता के
चीर हरण तक जा पहुंचा था
समझाने का समय जा चुका
अब केवल वध ही बनता था
शठे शाठ्यम समाचरेत् की
हमने समुचित नीति निभाई।।
एक के बदले दस मारेंगे
मारेंगे कस कस मारेंगे
यह सन्देश आज भेजा है
अब घर में घुस घुस मारेंगे
तेरे सौ टुकड़े कर देंगे
अबकी जो गलती दोहराई।।
कवि-सुरेश साहनी,अदीब
कानपुर
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