दर्दे -ए -मुहब्बत पाले रख । 

आस का दीया   बाले रख ॥ 

मौला तुझसे  एक दुआ  ,

सबके हाथ निवाले   रख ॥

 मंजिल भी मिल जाएगी ,

पहले पाँव में छाले  रख॥ 

यह बस्ती है   बहरों की,

आप जुबां पे ताले रख ॥ 

राजनीति की फ़ितरत है ,

चोर लुटेरे   वाले  रख ॥

सुरेश साहनी, कानपुर

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