बेमआनी के ख़्वाब क्यों देखें।
हम खिज़ां में गुलाब क्यों देखें।।
सब से बेहतर हैं ढूँढ लें चश्में
तिश्नगी में सराब क्यों देंखें।।
क्यों न अपना मकां दुरुस्त करें
उनका खाना ख़राब क्यों देखें।।
अपनी आंखों से वो पिलाते हैं
मयकदे में शराब क्यों देखें।।
हम हैं दरवेश अपनी फ़ितरत से
हम नवाबों के ख़्वाब क्यों देखें।।
Suresh sahani, kanpur
9451545132
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