नाम कुछ है आपका किरदार कुछ।

कर रहे हैं आप कारोबार कुछ ।।


कल यहाँ आँगन था ये मालूम है

उठ गईं है अब यहाँ दीवार कुछ।।


उस मसीहा को कहाँ मालूम है

उसके कारण हो गए बीमार कुछ।।


क्या हरीफ़ों से हैं सारी उलझनों

मेरे अपनो में भी हैं अगियार कुछ।।


आपने जिसका तमाशा कर दिया

सच में था वह आदमी लाचार कुछ।।


खुदकुशी दहकां ने कर ली  कर्ज से

कह रहे हैं पर यहाँ अख़बार कुछ।।


सुरेश साहनी,अदीब 

कानपुर 

9451545132

Comments

Popular posts from this blog

भोजपुरी लोकगीत --गायक-मुहम्मद खलील

र: गोपालप्रसाद व्यास » साली क्या है रसगुल्ला है

श्री योगेश छिब्बर की कविता -अम्मा