सोते जगते एक ग़ज़ल लिख लेता हूँ।

अब मैं हर मुश्किल का हल लिख लेता हूँ।।


अग़र झोपडी है तो मंदिर लिखता हूँ

ताजमहल को ताजमहल लिख लेता हूँ।।


होठ तुम्हारे पंखुड़ियों के जैसे हैं

चेहरा तेरा खिला कँवल लिख देता हूँ।।


यह सच है कि मैं तेरा दीवाना हूँ

तुम कहती हो तो पागल लिख देता हूँ।। 


एक न एक दिन यह इतिहास बनेगा ही

जिस पल प्यार हुआ वह पल लिख देता हूँ ।।


प्यार में नम आँखों से  मोती गिरते हैं

मैं तो उनको गंगाजल लिख देता हूँ।।


और यूँही कागज़ के सूखे सीने पर

मैं अक्सर बनकर बादल लिख देता हूँ।।


13/09/16 कॉपीराइट@सुरेश साहनी

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