बहुत सामान हमने कर लिए हैं।

सफ़र आसान हमने कर लिए हैं।।


ये दुनिया एक से कैसे सम्हलती

कई भगवान हमने कर लिए हैं।।


तेरे जन्नत में क्या है हुस्नो-सागर

वही सामान हमने कर लिए हैं।।


मुताबिक जो मेरे आमाल तौले

नए मीजान हमने कर लिए हैं।।


 उबारेंगे अगर दोज़ख से रोज़े

तो भर रमजान हमने कर लिए हैं।।


खुदा भी भीड़ से कैसे भिड़ेगा

कई जजमान हमने कर लिए हैं।।


अभी करने दे मौला मौज मस्ती

भजन गुणगान हमने कर लिए हैं।।


सुरेश साहनी ,कानपुर

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