क्या हुआ कोई तो ये बतलायेगा।

या कि रोये-गायेगा चिल्लाएगा।।

सब उठाते हैं सवालों पर सवाल

कौन आके इनके हल समझायेगा।।

लाख जलकर महफ़िलें रोशन करे

सुबह तक तनहा दिया रह जायेगा।।

हर दिखावे का सफ़र का खैरख्वाह

हद से ज्यादा घाट तक पहुंचाएगा।।

चार पैसे दान में क्या दे दिए

चार सौ के पोस्टर छपवायेगा।। suresh sahani

Comments

Popular posts from this blog

भोजपुरी लोकगीत --गायक-मुहम्मद खलील

र: गोपालप्रसाद व्यास » साली क्या है रसगुल्ला है

श्री योगेश छिब्बर की कविता -अम्मा