उम्र तुझको क्या पता 

दिन घट रहे

या बढ़ रहे हैं।

या ज़िन्दगी के कर्ज़ पर 

दिन ब्याज जैसे चढ़ रहे हैं

मौत है गोया महाजन 

आ गयी तो ले ही जाएगी

उसे जैसे किसी फरियाद से

मतलब नहीं है

वो नहीं सुनती सिफारिश

वो नहीं देती है मोहलत

वो नहीं लेती है कोई

चेक कभी भी पोस्टडेटेड

इसलिए तुम रोज जितना 

ले रहे हो कर्ज़ उतना

जोड़ कर के ब्याज प्रतिपल

हो सके तो रोज भरना

नेकियों के रूप में 

हुंडिया अच्छाईयों की साथ रखना।


सुरेशसाहनी

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