लुत्फ़ था इंतेज़ार में शायद

वस्ल होते ही महवेयास हुआ

वो जो क़ुर्बत में मुस्कुराता था

आज हँसने पे क्यों उदास हुआ।।SS

Comments

Popular posts from this blog

भोजपुरी लोकगीत --गायक-मुहम्मद खलील

श्री योगेश छिब्बर की कविता -अम्मा

र: गोपालप्रसाद व्यास » साली क्या है रसगुल्ला है