मैं सरकार के सेवा कार्यो का बड़ा प्रसंशक हूँ।मुझसे सरकार की आलोचना नहीं होती। एक मित्र सरकार की आलोचना कर रहे थे कि सड़कें बहुत खराब हैं। मैंने उन्हें समझाया सरकार क्या क्या करे ।कुछ आप की भी जिम्मेदारी हैं। अरे अगर हर नागरिक एक मीटर सड़क बनवाने का संकल्प कर ले तो डेढ़ लाख किमी सड़क  गढ्ढामुक्त हो सकती है। लेकिन आप केवल सरकार को कोसने लगते हैं। 

 उन्होंने आगे बताया कि एक प्रदर्शन चल रहा था कि शहर कूड़े का ढेर बन गया है।अब ये क्या बात हुई। अरे भाई अगर पाँच पाँच किलो कूड़ा शहर का हर नागरिक उठाये और बगल वाले शहर में फेंक आये तो अपने कानपुर से ही दो करोड़ पचास लाख किलो मतलब 25000 टन कूड़ा बगल वाले जिले में पहुंच जाएगा।और मॉर्निंग वॉक से जनता भी स्वस्थ रहेगी। इतना कूड़ा फेंकने के लिए नगर निगम 2500 गाड़ियां भी लगाए तो उसे प्रतिदिन पांच चक्कर लगाने पड़ेंगे और एक लाख लीटर डीज़ल फूंकेगा सो अलग। अभी मैं उनके दिव्य ज्ञान से चकित होने की सोच ही रहा था कि उन्होंने एक और बात बताई। भैया! अभी तो भारत की तैयारी है कि वो अपना चन्द्रयान है ना उससे सारा कूड़ा हम लोग चन्द्रमा पर डाल आया करेंगे। उससे वहां जो गड्ढे दिखते हैं वो भी भर जाएंगे और जब ये कूड़ा वहां खाद बन जायेगा तो वहाँ कार्बन डाइऑक्साइड भी बनेगी। उससे वहाँ पेड़ पौधे वनस्पतियाँ भी तैयार होंगे। फिर उन पेड़ों से ऑक्सिजन भी मिला करेगी। तब हम लोग साग सब्जी भी चन्द्रमा से ही मंगाएँगे। 

  हमने पूछा कि तुमको कैसे मालूम?

तब उन्होंने बताया कि भैया ये अपने मोदी जी जो हैं ना वे सौ साल आगे की सोचते हैं। देखना एक दिन हम लोग इसी सड़क पर हेलिकॉप्टर से चलेंगे। बस ये खान्ग्रेसिए नहीं चाहते।

व्यंग्य

सुरेश साहनी

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