जितना मुझसे दूर रहोगे।

उतना ग़म से चूर रहोगे।।


कुछ आदत से,कुछ फ़ितरत से

कुछ दिल से मजबूर रहोगे।।


इतना इतराते हो हरदम

क्या ज़न्नत के हूर रहोगे।।


जब ना रहेंगे दीवाने तब

तुम भी कहाँ फितूर रहोगे।।


साये को तरसोगे तुम भी

बेशक़ बने खजूर रहोगे।।


इश्क़ की आंखों में बस जाओ

बोतल बन्द सुरूर रहोगे।।


हम होंगे ख़िदमत में जानम

तुम भी मेरे हुज़ूर रहोगे।।


लिख डालो तारीख़ नहीं तो 

पन्नों से काफूर रहोगे।।


सुरेश साहनी, कानपुर

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