अपनी क़ायनात ज़रा सी
भारी है बरसात ज़रा सी
दिन छोटा दिनचर्या लम्बी
नींद बड़ी पर रात ज़रा सी
करवट करवट मीलों जगना
ढेरों चिंता बात ज़रा सी
दूर तलक पसरे अंधियारे
मैं जुगनू औक़ात ज़रा सी
शोर भरे सन्नाटे जैसे
नाम समुन्दर जात ज़रा सी
कुछ शिक़वे मौला से भी हैं
नाम बड़े ख़ैरात ज़रा सी........
सुरेश साहनी कानपुर
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