मैं मुक़द्दर बना बना के थका।
वक़्त क़िस्मत मिटा मिटा के थका।।
आसमानों पे दाग वाले हैं
चाँद चेहरा छुपा छुपा के थका।।
आप नज़रें झुका झुका के थके
मैं निगाहें मिला मिला के थका।।
कुछ न जायेगा साथ आख़िर में
ये सिकन्दर बता बता के थका।।
मौत से कौन जीत पाया है
जंग लश्कर जुटा जुटा के थका।।
लोग सुन कर नहीं थके आदम
एक किस्सा सुना सुना के थका।।
सुरेश से
Comments
Post a Comment