क्यों री छलना कब सुधरेगी।
सदा रहेगी दुःख प्रदायिनी
या अपनी भी पीर हरेगी।।क्यों री छलना

गागर गागर प्यास सम्हाले
अँजुलि भर पानी के प्याले
क्या इतने से प्यास बुझेगी।।क्यों री छलना 

खेला  खाया  सोया जीवन
कुछ पाया कुछ खोया जीवन
अकथ कहानी यही रहेगी।।क्यों री छलना

यह प्रवंचकारी क्रीड़ायें
कुछ खुशियाँ अगणित पीड़ायें
मैं भोगूँ तू मौन रहेगी।। क्यों री छलना

16/09/16

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