हमारा साथ भले उम्र भर रहे न रहे।

मेरी दुआओं में इतना असर रहे न रहे।।


मैं हर कदम पे तुम्हे रास्ता बताऊंगा

ये और बात कि तुम को खबर रहे न रहे।।


तुम्हे भी हुस्न पे इतना गुरुर ठीक नहीं

ये जिस्म क्या है किराये का घर रहे न रहे।।


पैकरे-फ़ानी को भी फ़िक्र हैं तो किसकी है

ये घर मकान ये जमीनों-जर रहे न रहे।।


परिंदे रोज ठिकाना नया बदलते हैं

वो जानते हैं कि कल ये शजर रहे न रहे।।


इन निगाहों में रख मुकाम रास्ते को नहीं

बदलते वक्त में ये रहगुजर रहे न रहे।।


राब्ता कौन किसी खण्डहर से रखता है

भिखारियों का भी आना उधर रहे न रहे।।


मेरी मजार बनाओ  मेरे रकीबों में

कि मेरा  चाहने वाला  इधर रहे न रहे।।


अब न तो इश्क पे बंदिश न हुस्न का पर्दा

खुदा रहम करे उसका भी डर रहे न रहे।।


सुरेशसाहनी, कानपुर 

सम्पर्क- 9451545132

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