भूख को जज़्बात से मत तौलिये।

वक्त को हालात से मत तौलिये।।

प्यार होता है तो होने दीजिये

दिल्लगी को जात से मत तौलिये।।

दिल तो क्या है जान भी दे देंगे हम

अब हमें इस बात से मत तौलिये।।

छप नहीं पाती कई खबरें  यहाँ

सच को अखबारात से मत तौलिये।।

कितने ऊँचे कद यहॉं गुमनाम हैं

कद को झंझावात से मत तौलिये।।

ये भी हो सकता है वो निर्दोष हो

सिर्फ इल्ज़ामात से मत तौलिये।।

आप भी क्या सोच रखते हैं अदीब

नेकियाँ औकात से मत तौलिये।।

सुरेश साहनी, कानपुर

Comments

Popular posts from this blog

भोजपुरी लोकगीत --गायक-मुहम्मद खलील

श्री योगेश छिब्बर की कविता -अम्मा

र: गोपालप्रसाद व्यास » साली क्या है रसगुल्ला है