ये कोई मुद्दआ हुआ ना हुआ।
मौत का तरज़ुमा हुआ ना हुआ।।
यार मेरा ख़फ़ा हुआ न हुआ।
दुश्मनों का भला हुआ ना हुआ ।
छोड़ जाने की क्या वज़ह पूछें
एक वादा वफ़ा हुआ ना हुआ।।
किससे जाकर करें शिक़ायत हम
हल कोई मसअला हुआ ना हुआ।।
उसने दिल से किया किया न किया
काम कोई हुआ हुआ ना हुआ।।
हम भी उसके कहाँ रहे दिल से
वो हमारा जो ना हुआ ना हुआ।।
ख़ुदकुशी की कई ज़मीरों ने
क़द तो क़द है बड़ा हुआ ना हुआ।।
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