ज़ंगे सियासत ही दिल्ली में होती है।
ज़ंगे हक़ीकत गांव गली में होती है।।
महल किले बनने से ही सन्नाटे हैं
गम्मज तो झोपड़ पट्टी में होती है।
जितने नेता है मजदूर किसानो के
इनकी बैठक कब बस्ती में होती है।।
अब गरीब गुरबों से ये घबराते हैं
इसीलिए मजलिस दिल्ली में होती है।।
एक बीज से अगणित बीज बनाती है
यह ताकत केवल धरती में होती है।।
मजलूमों की चीखपुकारें कौन सुने
सख़्त सुरक्षा हर कोठी में होती है।।
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