अपनी आदत में है दुआ देना।
कोई इल्ज़ाम मत लगा देना।।
बुझते शोलों को क्या हवा देना।
मेरा दामन न तुम जला देना।।
आपके दिल मे कौन रहता है
राज ख़ुद को न तुम बता देना।।
आग तब थी अभी तो पानी है
जब लगे तब दिया बुझा देना।।
क्या ज़रूरी है कब्र का बोसा
बस मेरे गीत गुनगुना देना।।
उसकी आदत है नाम साहिल पर
शाम लिखना सुबह मिटा देना।।
जानलेवा है ये अदा उसकी
देखना और मुस्कुरा देना।।
सुरेश साहनी
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