आयी गयी बिताई बातें।

आज पुनः याद आयी बातें।।


आंखों के कोरों से टपकी

कितनी छुपी छुपाई बातें।।


महफ़िल में रुसवा कर बैठीं

ऐसी थीं हरजाई बातें ।।


बचपन की सोंधी बातों की

करती रहीं बड़ाई बातें।।


बेसिरपैर हुआ करती हैं

अक्सर सुनी सुनाई बातें।।


सुरेश साहनी, कानपुर

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