दांत चियारी चाहे निहुरी

थेथर जनता नाही सुधरी

जाति धरम पर बोट बँटेला

दाम बढ़े से कुछ ना बिगरी

Comments

Popular posts from this blog

भोजपुरी लोकगीत --गायक-मुहम्मद खलील

श्री योगेश छिब्बर की कविता -अम्मा

र: गोपालप्रसाद व्यास » साली क्या है रसगुल्ला है