देकर ज़ख्म दवा करता है। 

यूँ एहसान किया करता है।।

मैं जब दीपक बन जलता हूँ

वो तूफान हुआ करता है ।।

पंछी कब स्कूल गये है

उड़ना वक्त सिखा देता है।।

घर में दुनिया बहुत बड़ी थी

बाहर का दिल भी छोटा है।।

अम्मा बस तुम साथ नहीं हो

बच्चा तो अब भी रोता है।।

माँ तुम हो तो सब अपना है

वरना इस दुनिया में क्या है।।

आज गंग-जमुनी भारत भी

हरा , लाल,पीला ,भगवा है।।

क्या क्या रंग बदल लेती है

अजब सियासत की दुनिया है।।

सुरेश साहनी

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