सत्य के बदले हुए हैं मायने।
सोच में धुंधला गए हैं आईने।।
आदमी घायल सड़क पर मर गया
और एम्बुलेंस ले ली गाय ने।।
प्रश्न संसद में उठे तो थे मगर
उनके उत्तर गुम करे संकाय ने।।
लौह जब गलने लगा तो कह उठा
मार डाला मृत पशु की हाय ने।।
काम बन जाता मुहब्बत में मगर
सब बिगाड़ा दोस्तों की राय ने।।
राजमाताएं रहीं विश्रामरत
राष्ट्र की रक्षा करी हर धाय ने।।
सुरेश साहनी,कानपुर
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