थाली पे नज़र है कि निवालों पे नज़र है।

सरकार की हक मांगने वालों पे नज़र है।।


सरकार ने घर फूंकने के हुक्म दिए हैं

सरकार कि हर घर के उजालों पे नज़र है।।


सरकार को दस साल तक तकलीफ न पहुंचे

सरकार शिकारी हैं जियालों पे नज़र है।।


सरकार के मुखलिफ् कोई आवाज न उट्ठे

सरकार की आज़ाद खयालों पे नज़र है।।


यूँ ही कोई कमसिन कली रौंदी नही जाती

सरकार की कम उम्र गज़ालों पे नज़र है।।


संसद में या अख़बार में अब उठ न सकेंगे

सरकार न फंस जाए सवालों पे नज़र है।।


मेहनत से या फिर नेक इरादे से लड़ा कौन

हर दल की वोट बेचने वालों पे नज़र है।।


सुरेश साहनी कानपुर

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