तुमसे चलकर न आया गया।

मुझसे उठकर न जाया गया।।


ग़ैर इसपर रहे खुशफहम

फासला ना मिटाया गया।।


मौत क्या है न मुझको पता

ना किसी से बताया गया।।


एक परदा रहा दरमियाँ

उम्र भर जो निभाया गया ।।


मेरी चाहत में तासीर थी

दूर उनसे न जाया गया।।


आज जाकर मुझे घर मिला

जीते जी ना बनाया गया।।


दूर जाकर किसे ढूंढते

तुमको दिल में ही पाया गया।।


और भी याद आने लगे

जब भी तुमको भुलाया गया।।


यार के संग आके मुझे

कब्र में भी जलाया गया।।


सुरेश साहनी,कानपुर

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