प्रणय नौका का क्षितिज से पार होना तय हुआ।
ओ मेरे नभ लो मेरा आधार होना तय हुआ।।
तय हुआ अब मेरे स्वप्नों का चितेरा तय हुआ
मेरे मन मंदिर में हो किसका बसेरा तय हुआ
तय हुआ अलि कलि मिलन श्रृंगार होना तय हुआ।।
तय हुआ हर वर्जना के टूट जाने का समय
अब नहीं है दर्प रखने या लजाने का समय
एक बंधन अंक का स्वीकार होना तय हुआ।।
हाँ मनोरथ था हमारा साथ नव संसार का
प्रेम से विश्वास से पूरित भरित घरबार का
गात प्रणयाकुल हुए अभिसार होना तय हुआ।।
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