सूरज चाँद सितारे जुगनू सब तेरे पैमाने हैं

रंग ,बहारें , गुलशन, गुल सब तेरे ही अफसाने हैं

जाने क्या जादू है तेरी इन मस्तानी आंखों में

पंछी, भौरें तितली और पतंगे तक दीवाने हैं।।

मौसम, मंज़र , महफ़िल मौजू तेरे हैं सारे अपने

ऐसा क्यों लगता है खाली हम तेरे बेगाने हैं।।


सुरेश साहनी, कानपुर

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