नित तरमाल ज़रूरी है क्या।
यही सवाल ज़रूरी है क्या।।
हाकिम हाकिम ही रहता है
ले अहवाल ज़रूरी है क्या।।
तुम ब्रेड भी खा सकते हो
रोटी दाल ज़रूरी है क्या।।
मन की बात नहीं सुनते हो
कहना हाल ज़रूरी है क्या।।
जन हो दब कर रहना सीखो
बहुत उछाल ज़रूरी है क्या।।
नाहक़ धरना और प्रदर्शन
रोज बवाल ज़रूरी है क्या।।
क्या क्या बेचें लोग ख़फ़ा हैं
इत्ता माल ज़रूरी है क्या।।
मंदिर मस्ज़िद करते रहिये
और धमाल ज़रूरी है क्या।।
हम नेता हैं अपने हिस्से
ये आमाल ज़रूरी है क्या।।
जीडीपी माइनस में है
बहुत उछाल ज़रूरी है क्या।।
युवा पकौड़े बेच रहे हैं
और कमाल ज़रूरी है क्या।।
कितना टैक्स वसूलें इससे
नरकंकाल ज़रूरी है क्या।।
सुरेश साहनी, कानपुर
Comments
Post a Comment