कुछ देर नयन अपने मुंदो
कुछ देर स्वयं के पास रुको
क्या पाया है यह ध्यान रहे
क्या खोया है महसूस करो
आवाजाही भागादौड़ी
आपाधापी यह जीवन भर
अपनों की ख़ातिर वक्त नहीं
जी लो कुछ अपनी ही ख़ातिर ...
कुछ खो जाने का भय लेकर
पाने की कोशिश जीवन भर
खोने पाने की चिंता में
हम भूल गए जीवन के स्वर
अपनी स्वाभाविकता खोकर
हमने औरों में जीवन भर
खोजा है अपने जीवन को
कितना भी चीखों चिल्लाओ
देखों चाहे आंखें फाड़ो
जब थक जाओ तब बैठ कहीं
कुछ देर नयन अपने मूंदो
शायद तुम खुद को पा जाओ.....
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