फ़क़त बरबाद हूँ इतना बहुत है।

दिले नाशाद हूँ इतना बहुत है।।


ज़माने ने भुलाया पर अभी भी

तुम्हें मैं याद हूँ इतना बहुत है।।


सुरेश साहनी, कानपुर

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