नाहक़ दुनिया वाले नफ़रत करते हैं।
इक हम हैं जो सिर्फ़ मुहब्बत करते हैं।।
जो बातें हँसके टाली जा सकती हैं
अक्सर लोग उन्हीं पर हुज़्ज़त करते हैं।।
उन्हें ज़ियारत की कोई दरकार कहाँ
वालिदैन की जो भी ख़िदमत करते हैं।।
हाफ़िज़ मौला है उनकी हर गर्दिश में
जो अच्छे लोगों की सोहबत करते हैं।।
रिश्ते नाते बचपन मस्ती अल्हड़पन
ये खोकर हम किसकी चाहत करते हैं
Suresh Sahani, कानपुर
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