मैंने दिल की बस्ती का सच खोजा तो वीराना निकला।
मेरी प्रेम कहानी उनकी नफ़रत का अफ़साना निकला।।
वैसे उनकी मेरी बातें कितनी मिलती जुलती हैं
निकला मेरा मन वृंदावन उनका मन बरसाना निकला।।
उनकी यादें उनकी बातें उनके किस्से मेरा क्या
बेगानी शादी में मैं भी अब्दुल्ला दीवाना निकला।।
उनका क्या है मेरे दिल पर फिर भी उनका ही कब्ज़ा
मेरी खाला के घर मे ख़ुद जैसे मैं बेगाना निकला।।
जब दिल का बक्सा खोला तो उसमें ढेरों यादें थीं
तह पर तह में दर्द लपेटे ग़म से भरा ज़माना निकला।।
सुरेश साहनी, अदीब
कानपुर
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