मेरे गीतों में कौन रहा
जिसने स्वप्नों में आ आकर
मन के भावों को देकर स्वर
गूंगे शब्दों को किया मुखर
यह अलग बात मैं मौन रहा.....
वह था यौवन का सन्धि-काल
या उम्मीदों का मकड़जाल
जितने सपने उतने बवाल
मन यती व्रती का भौन रहा.....
सब उसको पूछा करते हैं
अगणित अनुमान लगाते हैं
गीतों की तह तक जाते हैं
अब किसे बता दें कौन रहा....
मेरे गीतों में कौन रहा......
सुरेश साहनी
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