जिसकी वंशी ने दिल  चुराया है

जिसपे दिल गोपियों का आया है

जिसने राधा का दिल चुराया है

कृष्ण जो गोपियों को भाया है

सुन रहे हैं कि नन्दलाला है

कैसे मानें वो एक ग्वाला है.....


जबकि गैयो को भी चराता है

जम के माखन दही चुराता है

जबकि इतना शरीर है मोहन

फिर भी है गोपियों का मनमोहन

हर तरफ जिसका बोलबाला है

कैसे माने वो सिर्फ़ ग्वाला है......


ब्रज उसे हाथोंहाथ लेता है

मान देता है माथ लेता है

जब वो ग्वालों को साथ लेता है

कालिया को भी नाथ लेता है

सब ये कहते हैं मुरली वाला है

कैसे मानें वो सिर्फ़ ग्वाला है....


 गोपियों संग  रास करता है

मुझसे ज्यादा विलास करता है

काम भी ऐसे खास करता है

हर हृदय में निवास करता है

सिर्फ़ मेरे ही दिल का छाला है

कैसे मानें वो सिर्फ़ ग्वाला है.....


सुन रहे हैं वो मुझको मारेगा

पाप हर लेगा जग को तारेगा

मोक्ष पाकर के उनके हाथों से 

कौन कहता है कंस हारेगा

वो जो मथुरा में आने वाला है

कैसे मानें वो सिर्फ़ ग्वाला है.....


सुरेश साहनी,कानपुर

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